Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana - An Overview
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डर को दूर करने की प्रक्रिया की शुरुआत उसे पहचानने से होती है।
अगर आप इंटरव्यू से डरते हैं, तो मॉक इंटरव्यू ज़रूर करें।
मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है, अगर मानसिक रोगी अच्छी तरह अपना इलाज करवाए, नियमित रूप से ध्यान और योग करे, तो वह ठीक हो सकता है। वह एक अच्छी और खुशहाल जिंदगी जी सकता है।
डर के भी अनेक रूप हैं किसी को अंधेरे से डर लगता है तो कोई मरने के डर से कांप उठता हैं किसी को बीमार पड़ने का डर है तो बहुत लोग भविष्य में कहीं उनके साथ कोई आपत्ति या दुर्घटना ना हो जाए यह सोचकर मन ही मन डर रहे होते हैं
कामना अरोड़ा जी बताती हैं कि उन्होंने अपने अंदर के डर को कैसे खत्म किया। साथ ही वे अपने सामाजिक जीवन में अकेली शाकाहारी व्यक्ति थीं और अपने दोस्तों को यह बताने में डर महसूस करती थीं कि कहीं वे लोग उन्हें अस्वीकार ना कर दें। अरोड़ा जी अपने दोस्तों को प्रभावित करने के लिए झूठ बोलती थीं। अपने मानसिक डर का इलाज करने के लिए उन्होंने ध्यान-साधना का सहारा लिया। इससे उन्हें पर्याप्त मानसिक बल मिला और उन्होंने अपने दोस्तों को सच बताया।
डर को कैसे दूर करे
यदि कोई जानता है कि उसे किस बात से सबसे अधिक (भय) यानी डर लगता है तो उसके लिए डर को खत्म करना बहुत सारल हो जाता है। दरअसल डर एक प्रतिक्रिया है जो हमारी मनोदशा के रूप में सामने आता है जिसे हम तब महसूस करते हैं जब हमारी मनोदशा में किसी खतरे का अंदेशा होने लगता है
सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मलेन
❓ क्या हर डर को पूरी तरह खत्म Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana किया जा सकता है?
आप सकारात्मक पक्ष को समझकर अपने डर का फायदा उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए, बहुत से लोगों को स्टेज पर जाने से डर लगता है, लेकिन मंच पर होने का डर आपको उस पल के बारे में जागरूक होने में मदद कर सकता है और आप जो करने जा रहे हैं उस पर गहन ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। अपने डर को स्वीकार करना सीखें और फिर ये जहां पर सबसे अधिक उपयोगी होने वाला है, उसे उसी दिशा में ले जाएँ।
क्योंकि डर सिर्फ एक दिन में दूर नहीं होता, कुछ वक़्त तो आपको देना ही होगा. तो चलिए जानते हैं डर को कैसे ख़त्म करें? इसके लिए आपको क्या क्या करना होगा?
इसके ठीक उलट जिन्हें भगवान् पर पूरा भरोसा होता है और उन्हें याद करते हैं वो लोग ज्यादा निर्भीक पाए जाते हैं.
तो कहने का मतलब ये है की डर और घबराहट को बढाने में नशीली चीज़ों का बहुत बड़ा हाथ होता है. तो यदि आप पहले से ही डरे डरे रहते हैं तो ये चीज़ें आपको और ज्यादा कमजोर कर देती हैं.
चिंता हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। जब हम चिंता करते हैं तब हमारा दिमाग विचारों के एक भंवर में फंस जाता है। यही विचार डर को जन्म देते हैं।